Spread the love

भोपाल। मप्र में वन्यजीवों और वनस्पतियों की रक्षा के लिए अब कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाएंगे। यह क्षेत्र आमतौर पर स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्रबंधित होते हैं और उनका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित करना है। मप्र का पहला कंजर्वेशन रिजर्व बैतूल जिले में सतपुड़ा और मेलघाट टाइगर रिजर्व के बीच में स्थापित किया जाएगा। बैतूल के एक ओर होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व है, दूसरी ओर दक्षिण में महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मेलघाट टाइगर रिजर्व है। बैतूल के जंगल दोनों टाइगर रिजर्व के बीच वन्यजीवों के आवागमन के लिए वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर का काम करते हैं। इसलिए यह कंजर्वेशन रिजर्व के लिए प्रदेश में सबसे अनुकूल साइट है। महाराष्ट्र बार्डर पर यहां कंजर्वेशन रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
जानकारी के अनुसार कंजर्वेशन रिजर्व बनाने का प्रस्ताव वन विभाग ने शासन को भेजा है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। फिलहाल प्रदेश के राघौगढ़, बैतूल और बालाघाट के वनक्षेत्र में कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की तैयारी है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेंगे। गौरतलब है कि कंजर्वेशन रिजर्व राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य की तरह होगा। यह आकार में इनसे छोटा होगा। यहां भी चराई, कटाई और शिकार करना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। इसका संचालन समिति द्वारा किया जाएगा। कंजर्वेशन रिजर्व में कुछ छूट भी रहेगी। वर्ष 1972 के वन संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित क्षेत्रों में प्रावधान लागू होंगे। कंजर्वेशन रिजर्व की सीमा भी निर्धारित की जाएगी।
प्रदेश में सबसे ज्यादा टाइगर रिजर्व
गौरतलब है कि प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए 9 टाइगर रिजर्व हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ है और टाइगर रिजर्व की संख्या भी सबसे ज्यादा है। प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी गई है। मप्र में वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल 11198.954 वर्ग किलोमीटर है। यहां 11 राष्ट्रीय उद्यान एवं 24 वत्त्यप्राणी अभयारण्य है। कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा एवं संजय राष्ट्रीय उद्यानों तथा इनके निकटवर्ती 7 अभयारण्यों को मिलाकर प्रदेश में पहले 6 टाइगर रिजर्व बनाए गए थे। इसके अलावा 2023 में वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व का गठन नौरादेही एवं वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य को शामिल कर किया गया। रातापानी टाइगर रिजर्व का गठन दिसम्बर 2024 में हुआ। इन 8 टाइगर रिजर्व का कोर जोन 6951.458 वर्ग किमी तथा बफर जोन 6833.377 वर्ग किमी है। इस साल माधव नेशनल पार्क को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल चुका है। यहां बाघों की संख्या बढ़ाई जा रही है। डिंडौरी जिले के घुधवा में फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान है, जहां 6 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म संरक्षित किए गए हैं। धार जिले में डायनोसोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान, बाग स्थापित किया गया है। भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को आधुनिक चिडिय़ाघर के रूप में मान्यता प्राप्त है। केरवा भोपाल में गिद्धों के संरक्षण के लिए प्रजनन केन्द्र की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त मुकुंदपुर, जिला सतना में व्हाइट टाइगर सफारी एवं चिडिय़ाघर स्थापित किया गया है।
तीन कंजर्वेशन रिजर्व बनाने के प्रस्ताव
प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यजीव शुभरंजन सेन का कहना है कि प्रदेश के वनक्षेत्र को संरक्षित करने कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जा रहे है। तीन कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। मंजूरी के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लोगों को रोजगार भी मिलेगा। कंजर्वेशन रिजर्व अभयारण्य से अलग होगा। किसी भी वनक्षेत्र को जब अभयरण्य घोषित किया जाता है, तो स्थानीय समुदाय की नाराजगी होती है। जंगल पर निर्भर रहने वाले समुदाय पर प्रतिबंध लग जाते हैं। इसको देखते हुए ऐसे वनक्षेत्र जहां ज्यादा गांव है उन वन क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए कंजर्वेशन रिजर्व बनाए जा रहे है। इनका संचालन स्थानीय लोगों की समिति को दिया जाएगा, जिससे वहां की जरूरतों के मुताबिक रहवासियों को छूट के प्रावधान रहेंगे। इससे स्थानीय लोगों की नाराजगी भी नहीं रहेगी और वनक्षेत्र का संरक्षण भी होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *