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इस्लामाबाद। पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को पनाह देने के लिए बदनाम रहा है, लेकिन अब यह देश एक नया खतरनाक खेल खेल रहा है। हमास, एक आतंकी संगठन, पाकिस्तान में तेजी से अपनी जड़ें जमा रहा है। इसकी शुरुआत 2023 से हुई, जब हमास ने अपने खूंखार लड़ाके नाजी जहीर को गुप्त मिशन पर पाकिस्तान भेजा। जहीर ने कम समय में ही पाकिस्तान में अपनी मजबूत मौजूदगी बना ली। पाकिस्तान की असलियत अब दुनिया के सामने है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात करते हैं, लेकिन मिडिल ईस्ट फोरम नामक थिंक टैंक ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान हमास का नया ठिकाना बन रहा है। यह स्थिति पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, खासकर तब जब वह अमेरिका का प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी होने का दावा करता है।
हमास ने नाजी जहीर को अपना विशेष प्रतिनिधि बनाकर पाकिस्तान भेजा। 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए नरसंहार के बाद जहीर को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने अपने आयोजनों में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाना शुरू किया। जहीर अब इन आतंकी मंचों का स्थायी सदस्य बन चुका है और फिलिस्तीन समर्थक भड़काऊ बयानबाजी करता रहता है। वह रैलियों में हिस्सा लेता है और जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देने वाले दिमागी प्रचार कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इजरायली नागरिकों के नरसंहार के ठीक एक सप्ताह बाद जहीर ने पेशावर में एक भव्य फिलिस्तीन समर्थक रैली आयोजित की। इस रैली में हमास नेता खालिद मशाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुआ और जहीर के भाषण को सुना। मशाल ने गलती से यह कहकर पाकिस्तान की पोल खोल दी कि वह पाकिस्तान के लोगों की एकजुटता और सरकार की कूटनीति की सराहना करता है।
2 नवंबर 2023 को जहीर कराची में 12 दिनों तक चले ‘तूफान-ए-अक्सा सम्मेलन’ में वीडियो लिंक के जरिए शामिल हुआ। इस आयोजन को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने आयोजित किया था। हमास नेता इस्माइल हनीया ने कहा कि यह युद्ध सिर्फ फिलिस्तीन के लिए नहीं, बल्कि पूरी मुस्लिम दुनिया के लिए है। नवंबर 2023 में जहीर कराची पहुंचा और लश्कर-ए-तैयबा के राजनीतिक संगठन, पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग, द्वारा आयोजित इजरायल विरोधी रैली में भाषण दिया। जनवरी 2024 में वह कराची प्रेस क्लब में दिखा, जहां उसने पाकिस्तानी मीडिया से इजरायल के खिलाफ कवरेज बढ़ाने की मांग की। 2024 के अंत में जहीर ‘इजरायल की मौत’ नामक सम्मेलन में शामिल हुआ, जिसे जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल ने आयोजित किया था। यहां उसने गाजा युद्ध को ‘इस्लाम का युद्ध’ घोषित किया। जहीर के अलावा, हमास का एक और दूत खालिद कद्दौमी भी पाकिस्तान में सक्रिय है। जनवरी 2024 में पाकिस्तानी सीनेट ने कद्दौमी को आमंत्रित किया और उसका लाल कालीन बिछाकर स्वागत किया, जिससे हमास के प्रति पाकिस्तान का समर्थन साफ हो गया। 5 फरवरी 2025 को कद्दौमी, जहीर, और हमास नेता मुफ्ती आजम व बिलाल अल सल्लत ने पाक अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में एक बड़ा आयोजन किया। इसमें जैश-ए-मुहम्मद के अमीर मौलाना मसूद अजहर के भाई तल्हा सैफ और लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर भी शामिल थे। इस सभा में हमास और कश्मीर को लेकर खतरनाक साजिशों को अंजाम देने की योजना बनाई गई।

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