
पटना। बिहार की महिलाओं ने पिछले एक दशक में चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण के बाद महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी लगातार बढ़ी है। 2020 के विधानसभा चुनाव ने यह दिखाया कि महिला वोट अब बिहार की राजनीति का निर्णायक फैक्टर बन चुका है। राज्य की 243 सीटों में से लगभग 167 सीटों पर महिलाओं का टर्नआउट पुरुषों के मुकाबले अधिक रहा। खबर के मुताबिक, इन सीटों पर महिला मतदाताओं ने कई जगह निर्णायक भूमिका निभाई। पहले चरण के मतदान में महिला मतदान 69.04 प्रतिशत और पुरुष मतदान 61.56 फीसद रहा है। यह 7.5 प्रतिशत का अंतर बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण रुझान को दर्शाता है। बिहार में पिछले तीन चुनावों में महिला मतदान पुरुषों से 3 फीसदी से 7 प्रतिशत तक अधिक रहा है। इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महिलाओं ने मतदान में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.6 प्रतिशत रहा। यह पुरुषों के 54.7 फीसदी से करीब 5 प्रतिशत ज्यादा था। यह लगातार तीसरा चुनाव था जब महिला मतदाता मतदान में पुरुषों से आगे रहीं। विधानसभा चुनाव में कुल 57.05 फीसदी मतदान हुआ था।
साल 2005 अक्टूबर में जब नीतीश कुमार ने चुनाव जीता था, उस समय महिला मतदान पुरुषों से 2.6 फीसदी कम था। हालांकि, नीतीश के शासनकाल में कानून व्यवस्था में सुधार और महिला-केंद्रित योजनाओं ने इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया। साइकिल वितरण, नौकरियों में आरक्षण, पोषण योजनाएं, जीविका दीदी कार्यक्रम, स्थानीय निकायों में आरक्षण और शराबंदी जैसी पहलों ने महिलाओं को चुनावी प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भागीदार बनाया।
साल 2010 में महिला मतदान पुरुषों से 3.35 प्रतिशत ज्यादा था। वहीं, 2015 में यह अंतर बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गया। साल 2020 कोरोना के समय हुए मतदान में इसमें गिरावट आई थी। हालांकि, तब भी महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 5.3 फीसदी मतदान किया।
अब 2025 के पहले चरण में यह अंतर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो एक महत्वपूर्ण उछाल को दर्शाता है। महिला मतदान में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण पुरुषों का काम के लिए प्रवास भी है। कई पुरुष रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं और वोट डालने के लिए वापस आने का खर्च वहन नहीं कर पाते। पुरुषों की अनुपस्थिति में महिलाएं घर का प्रबंधन करती हैं और सभी निर्णय लेती हैं, जिससे उनकी राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी बढ़ी है।
2020 में जिन 167 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया, उनमें से 99 सीटें एनडीए ने जीती थी। इसके उलट, जिन 76 सीटों पर पुरुषों का मतदान अधिक था, वहां महागठबंधन ने 49 सीटें जीतीं। 2020 में महिलाओं ने एनडीए की नजदीकी जीत में अहम भूमिका निभाई। एनडीए को महिलाओं में 1 फीसदी की बढ़त मिली थी, जबकि महागठबंधन को पुरुषों में 2 फीसदी की बढ़त थी। बहरहाल बिहार में महिला मतदान की बढ़ती प्रवृत्ति राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। महिला सशक्तीकरण योजनाओं, बेहतर कानून व्यवस्था और महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक जागरूकता ने उन्हें निर्णायक मतदाता समूह बना दिया है। 2025 के चुनाव परिणाम यह तय करेंगे कि क्या यह प्रवृत्ति जारी रहती है और किस गठबंधन को इसका अधिकतम लाभ मिलता है।
