
नवंबर में खाने-पीने के सामानों की कीमत बढ़ी
नई दिल्ली। नवंबर में रिटेल महंगाई पिछले महीने के मुकाबले बढक़र 0.71 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है। इससे पहले अक्टूबर में ये 0.25 प्रतिशत पर थी, जो 19 साल में सबसे कम स्तर रहा था। नवंबर महीने में महंगाई में बढ़ोतरी सब्जियों, अंडें, मांस-मछली, मसालों, फ्यूल और लाइट की कीमतें बढऩे की वजह से हुई है। सरकार ने शुक्रवार, 12 दिसंबर को महंगाई के आंकड़े जारी किए हैं।
महंगाई के बास्केट में लगभग 50 प्रतिशत योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महीने-दर-महीने की महंगाई माइनस 5.02 प्रतिशत से बढक़र माइनस 3.91 प्रतिशत हो गई है। नवंबर महीने में ग्रामीण महंगाई दर -0.25 प्रतिशत से बढक़र माइनस 0.10 प्रतिशत हो गई है। वहीं शहरी महंगाई 0.88 प्रतिशत से बढक़र 1.40 प्रतिशत पर आ गई है।
वित्त वर्ष 2025-26 में रिटेल महंगाई
अक्टूबर में रिटेल महंगाई 0.25 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी। इसका कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी थी। ये वर्तमान सीपीआई सीरीज में अब तक की सबसे कम महंगाई थी। यानी, ये करीब 14 साल का निचला स्तर रहा था। इससे पहले सितंबर में ये 1.44 प्रतिशत पर थी।
भारत में सीपीआई की मौजूदा सीरीज 2012 के बेस ईयर पर बेस्ड है। मतलब, 2012 की कीमतों को 100 मानकर तुलना की जाती है। पहले 2010 या 1993-94 वाली सीरीज थीं, लेकिन समय के साथ अपडेट होती रहती है ताकि आंकड़े सही रहें। हर नई सीपीआई सीरीज में बेस ईयर चेंज होता है। सीपीआई सीरीज यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स सीरीज। ये महंगाई मापने का सरकार का सिंपल तरीका है। आसान शब्दों में कहे तो, ये बताता है कि रोजमर्रा की चीजें जैसे दूध, सब्जी, पेट्रोल कितनी महंगी या सस्ती हो रही हैं। बेस ईयर से तुलना करके त्न में आंकड़ा आता है।
