
हाई कोर्ट मुख्य सचिव, डीजीपी व सीबीआइ सहित अन्य को हाई कोर्ट का नोटिस
जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति हिमांशु जोशी की एकलपीठ के समक्ष शुक्रवार को सागर जिले के चार थानों की अनियमितता उजागर करने वाले याचिकाकर्ताओं के मामले की सुनवाई हुई। उनकी ओर से आशंका जताई गई कि पुलिस दुर्भावनावश झूठे प्रकरण पंजीबद्ध कर सकती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि स्टिंग आपरेशन के बाद से काल रिकार्ड किए जा रहे हैं। हाई कोर्ट ने इस सिलसिले में प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव विधि विभाग, प्रमुख सचिव गृह विभाग, पुलिस महानिदेशक, आईजी, पुलिस अधीक्षक सागर व सीबीआई को नोटिस जारी कर चार सप्ताह मे जबाब मांगा है। कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही न किए जाने के निर्देश भी दिए हैं।
राजधानी भोपाल निवासी पत्रकार राहुल शर्मा, दीपक शर्मा व सागर निवासी अतुल अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने सागर के चार पुलिस थाना बहेरिया, मोतीनगर, मकरोनिया एवं गोपालगंज में पदस्थ पुलिस कर्मियों द्वारा अवैध शराब की बिक्री करने, छह हजार रुपये प्रति सप्ताह देकर शहर में कही भी जुआ-सट्टा खिलाने की छूट देना, नाबालिग बच्चों के माध्यम से ड्रग्स, स्मैक, गांजा विक्रय कराना व स्पा सेंटरो मे देह व्यापार संचालित करवाना आदि का स्टिंग ऑपरेशन के द्वारा खुलासा किया था। इस संबंध में 30 नवंबर को खबर प्रकाशित की गई थी। दलील दी गई कि मामले उजागर होने के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा दोषी अधिकारियों के विरुध जांच व कार्यवाही करने के बजाए याचिकाकर्ताओं के काल रिकार्डिंग तथा आईपीडीआर निकालने लगे। याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध झूठे प्रकरण दर्ज करने की तैयारी करने लगे। याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19 एवं 21 मे प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षा करने, पुलिस प्रोटेक्शन प्रदान करने, स्टिंग आॅपरेशन की सत्यता की सीबीआइ या एसआईटी से जांच कराए जाने की मांग की है।
