24 साल में पांच दुष्कर्मियों को ही मिली फांसी की सजा
नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के बाद महिला सुरक्षा को लेकर ममता सरकार ने नया बिल पास किया है। इस बिल में रेप से जुड़े मामलों में जल्द जांच पूरी करने और ट्रायल खत्म करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा आरोपियों को फांसी की सजा का प्रावधान भी किया गया है।
अपराजिता वीमेन एंड चाइल्ड बिल 2024 के नाम से आया ममता सरकार ये बिल अगर कानून बनता है तो ये पूरे बंगाल में लागू हो जाएगा। इस संशोधन के जरिए महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बना दिया गया है। ममता सरकार का नया बिल भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट (पीओसीएसओ) में संशोधन करता है
इस बिल में रेप और गैंगरेप के आरोपियों के लिए फांसी का सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही ऐसे मामलों में पुलिस को 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। अगर तय समय पर जांच पूरी नहीं होती है तो 15 दिन का समय और मांग सकते हैं, लेकिन अदालत में देरी की वजह बतानी होगी। वहीं, महिलाओं और बच्चों से जुड़े यौन अपराध के मामले में चार्जशीट दाखिल होने के एक महीने के भीतर ट्रायल पूरा करना होगा। हालांकि, अभी ये बिल सिर्फ विधानसभा में पास हुआ है और इसे कानून बनाने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना बाकी है।
बहरहाल, ये पहली बार नहीं है जब महिला सुरक्षा को लेकर कानून में बदलाव करना पड़ा है। इससे पहले भी आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने के मकसद से कानून में बदलाव किया जा चुका है। कुछ राज्यों ने भी कानूनों में बदलाव किया है लेकिन कानून बदलने के बावजूद हालात नहीं बदले। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि अब भी देश में हर दिन 86 दुष्कर्म के मामले सामने आते हैं।
निर्भया कांड के बाद रेपिस्टों को मौत की सजा
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की सड़क पर चलती बस में युवती के साथ गैंगरेप किया गया था। इसके बाद 2013 में कानून में संशोधन कर इसका दायरा बढ़ाया गया. इसे निर्भया एक्ट भी कहा जाता है। जुवेनाइल कानून में संशोधन किया गया था. इसके बाद अगर कोई 16 साल और 18 साल से कम उम्र का कोई किशोर जघन्य अपराध करता है तो उसके साथ वयस्क की तरह ही बर्ताव किया जाएगा. ये संशोधन इसलिए हुआ था, क्योंकि निर्भया के छह दोषियों में से एक नाबालिग था और तीन साल में ही रिहा हो गया था।
27 नवंबर 2019 को आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में 27 साल की युवती का रेप कर हत्या कर दी गई थी. इसे दिशा नाम दिया गया था. मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन बाद में चारों एनकाउंटर में मारे गए थे1 इसके तहत क्रिमिनल लॉ में संशोधन किया गया था। दिशा बिल में रेप और गैंगरेप के मामलों में 21 दिन में सजा सुनाने का प्रावधान किया गया था। बिल में प्रावधान था कि 7 दिन में जांच पूरी करनी होगी और 14 दिन में ट्रायल खत्म कर सजा सुनानी होगी. इस बिल में रेपिस्टों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान था।
बता दें दुष्कर्म मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बावजूद 24 साल में पांच दुष्कर्मियों को ही फांसी की सजा मिली है। 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के रेप के मामले में फांसी दी गई थी। जबकि, मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों-मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।