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इन्दौर। जब इन्दौर की छोटी सी बालिका ने पहली बार स्विमिंग पूल में छलांग लगाई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यहीं छलांग एक दिन राष्ट्रीय खेलों के मंच पर स्वर्ण पदक में बदलेगी। लेकिन जुनून, समर्पण और कड़ी मेहनत से लिखी गई यह कहानी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
:: एक सामान्य शुरुआत, असाधारण यात्रा ::
पलक शर्मा, इन्दौर की रहने वाली एक साधारण परिवार की असाधारण बेटी हैं। उन्होंने महज 8 साल की उम्र में गोताखोरी (डाइविंग) से जुड़कर जल की लहरों को अपना मित्र बना लिया। तब से अब तक पलक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीतकर यह जता दिया कि वे असाधारण प्रतिभा की धनी हैं।
:: कोच, परिश्रम और प्रेरणा ::
उनकी इस यात्रा में उनके कोच रमेश व्यास की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उन्होंने पलक को न सिर्फ तकनीकी प्रशिक्षण दिया, बल्कि मानसिक मजबूती और अनुशासन का भी पाठ पढ़ाया। दोनों की मेहनत रंग लाई और आज पलक एक ऐसी एथलीट बन चुकी हैं जो देश-विदेश में मध्यप्रदेश और भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
:: 38वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में चमका पलक का जलवा ::
वर्ष 2025 की शुरूआत में उत्तराखंड में आयोजित 38वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पलक शर्मा ने हाई बोर्ड और एक मीटर गोताखोरी में स्वर्ण पदक तथा तीन मीटर गोताखोरी में रजत पदक जीतकर शानदार प्रदर्शन किया। यह सफलता सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे इन्दौर और मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय बनी।
:: सम्मान और प्रेरणा का पर्याय बनी पलक ::
पलक की उपलब्धियों को देश और प्रदेश दोनों स्तरों पर सराहा गया। उन्हें वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार तथा 2022 में मध्यप्रदेश का सर्वोच्च खेल सम्मान – एकलव्य पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अलावा उन्हें “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” अभियान का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया — यह न सिर्फ सम्मान है, बल्कि लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक है।
:: मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं ::
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी पलक की सराहना की है। उनका कहना है कि पलक जैसी बेटियां प्रदेश की असली पूंजी हैं। उनके जज्बे और मेहनत से आने वाली पीढ़ियों को सीख मिलेगी।
:: पलक का संदेश – सपनों को साकार करना संभव है ::
पलक का मानना है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, अगर आप उसे पूरा करने के लिए सच्ची मेहनत और निष्ठा से लगे रहें। वह कहती हैं, “जब मैं गोता लगाती हूं, तो मेरा मन शांत होता है, और मेरे भीतर की ऊर्जा मुझे ऊपर की ओर ले जाती है। यही मेरा मंत्र है – खुद पर भरोसा और लगातार अभ्यास।
पलक शर्मा की यह कहानी सिर्फ पदकों की नहीं, बल्कि उस आत्मविश्वास, साहस और निरंतर परिश्रम की है जो किसी भी सपने को सच कर सकता है। इन्दौर की यह बेटी आज लाखों युवा खिलाड़ियों के लिए एक जीवंत प्रेरणा है – जो यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो पानी की गहराइयों से भी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है।

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