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हादसे के बाद स्टेडियम के बाहर लगा चप्पल-जूतों का ढेर
बेंगलुरु। बेंगलुरु में बुधवार को भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। ये भगदड़ आईपीएल की टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत का जश्न मनाने के दौरान हुई। मरने वालों में 13 साल के किशोर से लेकर 33 की उम्र के लोग शामिल थे जिसमें 13 साल की दिव्यांशी, 19 साल की साहना, 20 साल का भौमिक और 21 साल के श्रवण… ये वो नाम हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
आरसीबी ने 18 साल के लंबे इंतजार के बाद आईपीएल की ट्राफी जीती, बेशक टी-20 क्रिकेट की सबसे बड़ी लीग में ये मुकाम हासिल करना आसान नहीं है और खिलाड़ियों को जश्न मनाने का पूरा हक है, लेकिन ऐसे जश्न में लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदार प्रशासन की बनती है। आरसीबी की विक्ट्री परेड में शामिल होने के लिए बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में तीन लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे, जबकि स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 35 हजार थी। जाहिर है प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हुए, जिसकी कीमत 11 परिवारों के लोगों को अपनों की जान देकर चुकानी पड़ी।
हादसे के बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जूते-चप्पलों का ढेरा नजर आया, जिन लोगों ने इस हादसे में अपनों को खोया उनके लिए जश्न मातम में बदल गया। स्टेडियम में जब खिलाड़ी आईपीएल ट्रॉफी के साथ झूम रहे थे, तब स्टेडियम के बाहर लोग जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे। घायलों को अस्पताल पहुंचाने तक के लिए भी लोगों को मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि भीड़ की वजह से पूरा बेंगलुरु ठप हो गया था और सड़कों पर लोगों को हुजूम नजर आ रहा था।
कुछ किस्मत वाले लोग वक्त रहते अस्पताल पहुंचे और उनकी जान बच गई। कुछ तो ऐसे थे जो भीड़ में पैरों तले कुचल गए और उन्होंने वहीं दम तोड़ दिया। आरसीबी की विक्ट्री परेड में अचानक से स्टेडियम के बाहर भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ के हालात बन गए। वहां चीख-पुकार मच गई और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, लोग गिर पड़े और बेहोश हो गए, जिन्हें तुरंत पास के अस्पतालों में ले जाया गया। हालांकि 11 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी।
स्टेडियम के बाहर तैनात पुलिस ने आसपास की भीड़ को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम थी, क्योंकि आरसीबी की पहली जीत एक यूथ फेस्टिवल में तब्दील गई थी। पुलिस ने लोगों से अपील की कि स्टेडियम भरा हुआ है और उन्हें तितर-बितर होने के लिए कहा गया लेकिन जीत के जश्न में दिवाने फैंस ने एक न सुनी। एक चश्मदीद ने बताया कि 600-700 लोगों ने एक साथ गेट तोड़ दिया और अंदर घुसने की कोशिश की, जिससे भगदड़ मच गई। चश्मदीद के मुताबिक स्टेडियम के बाहर यह सूचना फैला दी गई कि टीम का रोड शो रद्द कर दिया गया है और सभी को स्टेडियम में जमा होने के लिए कहा गया और कई महिलाएं बिना किसी टिकट के आई थीं। पुलिस ने महिलाओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी और गेट पर चढ़ने की कोशिश की जिससे भगदड़ मच गई। कई पीड़ित महिलाएं थीं, हालांकि उनकी मदद करने की कोशिश की गई, लेकिन भीड़ और अराजकता के कारण कुछ भी काम नहीं आया।
हैरान करने वाली बात यह है कि स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ के बीच स्टेडियम के अंदर खिलाड़ी और सरकार के मंत्री जश्न मनाते रहे। हालांकि कार्यक्रम को छोटा जरूर किया गया, लेकिन हादसे की जानकारी मिलने के बाद भी जश्न जारी रहा। स्टेडियम में समारोह के बाद आरसीबी टीम के खिलाड़ी लौट गए और नेता भी अस्पताल में घायलों से मुलाकात कर अपने घरों चले गए. लेकिन स्टेडियम के बाहर सड़कों पर पड़े जूते-चप्पल हादसे की भयावह कहानी बयां कर रहे थे, क्योंकि हर कोई जा चुका था, लेकिन सिर्फ यही जूते-चप्पल बचे थे।

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