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दमोह ! न्यायालय श्रीमान उदय सिंह मरावी, विशेष न्‍यायाधीश (एट्रोसिटीज एक्‍ट) ने छेड़छाड़ कर महिला को जलाने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया है! घटना अनुसार दिनांक 28.02.2017 के रात करीब 08:30 बजे अभियोक्त्री अपने घर के अंदर सो रही थी, उसके दरवाजे भड़कने की आवाज आने पर उसने पूछा कौन है. तो बाहर से आवाज आई कि वह ओमकार पटैल है. तो अभियोक्त्री ने दरवाजे खोल दिये, तब ओमकार पटेल घर के अदर आकर बिस्तर पर बैठ गया और ओमकार पटैल अभियोक्त्री से कहने लगा कि उससे मिलना है, तो अभियोक्त्री ने विरोध किया, तो ओमकार पटैल ने अभियोक्त्री को हरिजन जाति का जानते हुए भी उसे बुरी नीयत से उसके साथ छेड़छाड़ कर जान से मारने की नीयत से अभियोक्त्री के ऊपर मिट्टी का तेल डालकर और आग लगाकर भाग गया।अभियोक्त्री इलाज हेतु सीएचसी पथरिया से जिला अस्पताल दमोह तथा जिला अस्पताल दमोह से जबलपुर रैफर कर दी गई थी, जो सहायक उपनिरीक्षक पूर्णानंद मिश्रा द्वारा टू-केयर अस्पताल जबलपुर में पहुंचकर नायब तहसीलदार रांझी जबलपुर के द्वारा आहत्त अभियोक्त्री के मरणासन्न कथन पलेख कराये गये। अभियोक्त्री टू-केयर अस्पताल जबलपुर से पुनः जिला अस्पताल दमोह में इलाज हेतु भर्ती हुई थी। मेमो जांच के आधार पर सहायक उपनिरीक्षक पूर्णानंद मिश्रा (असा-20) द्वारा अभियुक्त ओमकार पटैल के विरूद्ध अपराध कमांक-117/2017 धारा-354, 307, 450 भारतीय दण्ड संहिता एवं धारा-3 (1) (ब) (i). 3(2) (v) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम पंजीबद्ध किया गया। न्यायालय में आई मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य, एवं मृतिका के मृत्युकालीन कथन पर विश्वास करते हुए अभियोजन द्वारा प्रस्तुत तर्कों के आधार पर माननीय न्यायालय ने आरोपी ओमकार काछी पटैल पिता हरप्रसाद काछी पटैल, आयु-40 वर्ष, निवासी-वार्ड नंबर-15 पथरिया, थाना-पथरिया, जिला-दमोह को न्‍यायालय द्वारा आरोपी को भां.द.वि. की धारा 302 में आजीवन कारावास1000रुपए अर्थदंड, 449 भा.द.वि. में 10 वर्ष का कठिन कारावास 1000 रुपए,धारा 3(2)(V) sc/st एक्ट में आजीवन कारावास की सजा एवं 1000 रूपये* के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया। मामले में पैरवी सहायक निदेशक अभियोजन श्री धर्मेंद्र सिंह तारन के निर्देशन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री सतीश कपस्‍या द्वारा की गई एवं सहायक श्री विनय नामदेव एवं आरक्षक श्री भूपेंद्र पांडे द्वारा आवश्यक सहयोग किया गया। प्रकरण की विवेचना तत्कालीन विवेचक प्रवीण भूरिया एवं पूर्णानंद मिश्रा द्वारा की गई।

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