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20 साल से अलग रह रहे दंपति को सुप्रीम कोर्ट ने दी तलाक की मंजूरी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल से अलग रह रहे कपल का तलाक मंजूर कर कहा कि शादी का रिश्ता आपसी भरोसे, साझा अनुभवों और सम्मान का है। अगर ये चीजें लंबे समय तक नहीं हों तो शादी सिर्फ कागजों पर रह जाती है। कोर्ट ने कहा कि शादी का उद्देश्य दोनों की खुशी और सम्मान है, न कि तनाव और विवाद।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए की, जिसमें 20 साल से अलग रह रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपति को तलाक देने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक मंजूर करते हुए पत्नी को 50 लाख रुपए एलीमनी (गुजारा भत्ता) देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही बेटी की पढ़ाई और भविष्य के खर्चों के लिए भी 50 लाख रुपए देने का आदेश सुनाया। यह रकम पति को चार महीने के अंदर चुकानी होगी।
पति-पत्नी के बीच रिश्ते इतने खराब हो गए कि इसे ठीक करना मुमकिन नहीं था। लंबे समय से झगड़े इस बात का सबूत हैं कि यह शादी टूट चुकी है। पत्नी 20 साल से मायके से नहीं लौटी तो पति ने तलाक मांगा। बता दें दंपति की शादी 30 जून 2002 को हुई थी। 2003 में उनके घर बेटी का जन्म हुआ। बेटी के जन्म के बाद पत्नी अपने मायके चली गईं, फिर वापस नहीं लौटीं। तब से पति-पत्नी अलग ही रह रहे हैं। पति ने तलाक के लिए कोर्ट का रुख किया और कहा कि पत्नी ने पति और उसके परिवार पर झूठे आरोप लगाए और शिकायतें दर्ज कराईं, जिससे उन्हें मानसिक और भावनात्मक ठेस पहुंची। पत्नी ने इस तलाक का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलें खारिज कर दीं हैं और तलाक की मांग मंजूर कर ली।

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