इंदौर। संयुक्त परिवार द्वारा प्रभु चरित्रामृत श्रवण का एकीकृत प्रयास के तहत आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान महोत्सव में सुदामा चरित, राजा परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई गई। द्वारकाधीश के स्वरूप में मुकेश और रुक्मिणी के स्वरू वीसीप में मोनिका परवाल ने सुदामा बने पीयूष परवाल की अगवानी की और कृष्ण भगवान ने अपने आंसुओं से सुदामाजी के चरण धोते हुए उनका ऋण उतारा।
पंडित पुष्पा नंद महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि सच्चा मित्र धर्म निभाना कोई सुदामा से सीखे। उन्होंने चोरों द्वारा चुराए गए चने खाकर ब्राह्मणी के श्राप को अपने ऊपर ले लिया और भगवान कृष्ण को दरिद्र होने से बचा लिया क्योंकि श्राप ये था कि जो भी वह चने खाएगा वह जीवन भर दरिद्र रहेगा। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा जी को द्वारका आने पर अपने अश्रु से चरण धोकर अपनी कृतज्ञता प्रकट की और सुदामा जी को धन धान्य से परिपूर्ण कर दिया। सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति यदि अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति को गले लगाएगा तो ही विश्व सुखमय हो जाएगा। निस्वार्थ भाव से प्रभु की सेवा और स्मरण करोगे तो भगवान आपकी झोली भर देंगे।
जीवन में जब हारने लगो तो हार को उल्टा करके पढ़ना वह एक नई राह में बदल जाएगी। बहन बेटियां जब भी आपके जीवन में आती हैं तो वह कुछ लेने के लिए नहीं बल्कि वे आपकी बला टालने के लिए आती हैं। परिवार में बेटी का होना जरूरी है। परमात्मा से जब भी मांगो तो बेटी जरूर मांगना, क्योंकि वह दो परिवारों को जोड़ने वाली है। किसी का हित करो तो भूल जाओ। नेकी कर दरिया में डाल दो। संसार जब भी मिलता है तो वह अधूरा मिलता है और परमात्मा जब भी मिलते हैं तो पूर्ण रूप से मिलते हैं। पति जब परास्त होता है तो सुलक्षणा पत्नी उसका साथ देती है।
व्यास पीठ का पूजन डॉ. सुरेश, महेश, सुभाष, दिनेश, कमल राठी, लीलादेवी, संजय, मनोज, शुभम, कैलाश चंद्र, सतीश मालपानी, संतोष आगीवाल ने किया।