
कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट ने सही ठहराया
जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल धगट व न्यायमूर्ति बीपी शर्मा की युगलपीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि वैवाहित प्रकरणों में इंडियन एविडेंस एक्ट पूरी तरह से लागू नहीं होता है। कोर्ट ने 65-बी सर्टिफिकेट के बिना कुटुम्ब न्यायालय के द्वारा तस्वीर को देखते हुए एडल्टरी यानि विवाहेत्तर संबंध के आधार पर तलाक का आदेश पारित करने में कोई गलती नहीं की है। लिहाजा, कुटुम्ब न्यायालय के आदेश के विरुद्ध अपील निरस्त की जाती है। दरअसल, बालाघाट निवासी महिला की ओर से दायर अपील में कहा गया था कि उसका विवाह साल 2006 में अनावेदक के साथ हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुआ था। अनावेदक पति ने तलाक के लिए कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन दायर किया था। अनावेदक पति ने न्यायालय में उसकी एक अन्य व्यक्ति के साथ फोटो प्रस्तुत की थी। फोटे के साथ इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत प्रमाणिता के लिए 65-बी सार्टीफिकेट प्रस्तुत नही किया गया था। कुटुम्ब न्यायालय ने इसके बावजूद एडल्टरी के आधार पर तालाक का आदेश पारित किया था। अपीलकर्ता महिला की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि एविडेंस एक्ट, 1872 के सेक्शन 65-बी का पालन करना ज़रूरी है। अपीलकर्ता के मोबाइल में उक्त तस्वीर थी, जो गलती से अनावेदक पति के मोबाइल पर ट्रांसफर हो गई थी। जिसके बाद पति ने उसका मोबाइल फोन तोड़ दिया। एविडेंस एक्ट की सेक्शन 65-बी के तहत बिना प्रमाणिता सार्टिफिकेट कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित आदेश निरस्त करने योग्य है।
