नई दिल्ली। दिल्ली में कचरे की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हर दिन 3000 टन कचरा अनट्रीटेड रह जाता है, जो बहुत शर्मनाक है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से पूछा कि इस समस्या का समाधान कब होगा और सरकार इससे निपटने के लिए क्या कदम उठा रही है।
दिल्ली में रोजाना 11 हजार टन कचरा इकट्ठा होता है, जिसमें से 8 हजार टन कचरे को नष्ट कर दिया जाता है, जबकि 3 हजार टन कचरा नष्ट नहीं हो पाता है। कोर्ट ने गाजीपुर और भलसवा जैसी जगहों पर कचरा नष्ट करने के लिए आग लगाने पर भी नाराजगी जताई, जो पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है। कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति बेहद खतरनाक और शर्मनाक है, और इस पर कार्रवाई की जरुरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न तो प्रशासन कचरे को नष्ट करने के लिए प्रभावी तरीके ढूंढ पा रहा है और न ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 को लागू किया जा रहा है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से गाजीपुर और भलसवा में 3,800 टन कचरे को लेकर 15 जनवरी, 2025 तक शपथ पत्र देने को कहा है। इसमें यह बताया होगा कि इन जगहों पर कचरे की आग को रोकने और पर्यावरणीय नुकसान को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए कहा कि कचरे को नष्ट करने के उपायों में इतनी ढिलाई क्यों। जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि अगर इतनी गंभीरता से काम हो रहा है तो दिल्ली सरकार और एमसीडी कंस्ट्रक्शन रोकने जैसे तात्कालिक उपाय क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है और इसकी जिम्मेदारी चीफ सेक्रेटरी की है। दिल्ली में कचरे की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। 2024 के आखिर तक यह स्थिति और भी बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।