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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से हैदराबाद विश्वविद्यालय के बगल में स्थित भूखंड पर लगे बड़े वृक्षों को हटाने की मजबूरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा। साथ ही अगले आदेश तक किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक लगा दी। रिपोर्ट में अदालत को बताया गया कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि अगर उसे राज्य की ओर से कोई चूक मिली तो वह मुख्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पीठ ने कहा, उन्हें (मुख्य सचिव) झील के पास उसी स्थान पर बनाई गई अस्थायी जेल में भेजा जाएगा।
राज्य में पेड़ों की कटाई को बहुत गंभीर मामला बताते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा उसके समक्ष पेश की गई अंतरिम रिपोर्ट ‘चिंताजनक तस्वीर’पेश करती है। पीठ ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि अगले आदेश तक, पहले से मौजूद पेड़ों के संरक्षण के अलावा, किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि राज्य द्वारा नहीं की जाएगी। पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से पूछा कि राज्य द्वारा पेड़ों को हटाने समेत विकासात्मक गतिविधियां शुरू करने की तत्काल इतनी क्या मजबूरी है। मुख्य सचिव को यह भी बताने का निर्देश दिया गया कि क्या राज्य ने ऐसी गतिविधियों के लिए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि अगर उसे राज्य की ओर से कोई चूक मिली तो वह मुख्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पीठ ने कहा, उन्हें (मुख्य सचिव) झील के पास उसी स्थान पर बनाई गई अस्थायी जेल में भेजा जाएगा।पीठ ने पूछा कि क्या पेड़ों को काटने के लिए वन प्राधिकरण या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण से अपेक्षित अनुमति ली गई थी। इसने कहा कि यदि राज्य के अधिकारी किसी भी निर्देश का उल्लंघन करते पाए गए, तो इसकी जिम्मेदारी राज्य के मुख्य सचिव पर होगी। अदालत ने काटे गए पेड़ों की स्थिति के बारे में भी पूछताछ की।

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