
न्यू लाईफ़ हॉस्पिटल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट पुलिस को सौंपने के आदेश
जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन को निर्देश दिए है कि शहर में नियम विरूद्ध संचालित अस्पतालों के मामलें में अद्यतन एक्शन रिपोर्ट दो सप्ताह के अंदर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें| लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से वर्ष 2022 में दायर जनहित याचिका में कोरोनाकाल में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया था कि नियमों को ताक में रखकर,नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियम, बिल्डिंग कम्प्लीशन सर्टिफ़िकेट की अनदेखी कर, आगज़नी की स्थिति में दमकल वाहन के लिए 6 मीटर खुला क्षेत्र सहित पार्किंग स्पेस की उपलब्धता देखे बग़ैर अनेक अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियम विरूद्ध लायसेंस जारी किए गए।
याचिका के लंबित रहने के दौरान ही अगस्त 2022 में जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्नि हादसे में 8 व्यक्तियों की दर्दनाक मौत हो गयी। आपातकालीन द्वार नहीं होने के कारण लोग बाहर तक नहीं निकल पाए । जिसके बाद मामले में हाईकोर्ट की सख़्ती के उपरांत अनेक अस्पतालों के विरुद्ध कार्यवाही की गई।
सरकार की ओर से गुरुवार की सुनवाई के दौरान कोर्ट में दस्तावेज पेश कर बताया गया कि अस्पतालों पर सख़्त कार्यवाही जारी है। जिसके चलते विगत दिनों कोठारी अस्पताल तथा एप्पल अस्पताल के पंजीयन निरस्त किए गए हैं, हाईकोर्ट ने मामलें में शहर में संचालित सभी नियम विरूद्ध अस्पतालों की अद्यतन एक्शन टेकन रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
अंग्निकांड के दोषियों को नहीं बनाया आरोपी, अब पुलिस को सौंपी जाएगी हाई लेवल कमेटी की जांच रिपोर्ट सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अग्निकांड वाले न्यू लाइफ़ मल्टीस्पेशीलिटी अस्पताल को पंजीयन जारी करने के पूर्व भौतिक निरीक्षण कर अनुसंशा करने वाले चिकित्सक डॉ एल.एन.पटेल और डॉ. निशेष चौधरी को आज तक पुलिस जांच में आरोपी नहीं बनाया गया, जबकि अगर ये अधिकारी अस्पताल को पंजीयन जारी करते समय मौके की सही निरीक्षण रिपोर्ट पेश करते तो, इतने लोग बेमौत नहीं मारे जाते।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिये गये कि राज्य शासन द्वारा संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में जो जाँच कमेटी गठित की गई थी। उसमें भी इन व्यक्तियों को दोषी पाया गया है, लेकिन वह रिपोर्ट पुलिस को नहीं दी जा रही है। जिससे दोषियों को आरोपी नहीं बनाया जा रहा है। मामले में हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिये है कि कमेटी की जाँच रिपोर्ट पुलिस को तत्काल सौंपी जाएं। तत्पश्चात् पुलिस को सरकारी जिम्मेदारों को भी मामले में आरोपी बनाना होगा।