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सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल होने के बाद हुआ खुलासा
बेंगलुरु। कर्नाटक के यादगीर जिले के मालदार गांव में मजदूरी घोटाले का मामला उजागर हुआ है। यहां कुछ पुरुष मजदूरों ने साड़ी पहनकर महिलाओं के नाम पर मजदूरी की, जबकि असली महिला श्रमिकों ने काम ही नहीं किया। यह फर्जीवाड़ा नाला गहरीकरण परियोजना के दौरान तब सामने आया जब सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो गईं। इनमें पुरुष साड़ी पहनकर काम करते नजर आए। यह कार्य मल्लार गांव के एक किसान, निंगप्पा पुजारी के खेत में किया जा रहा था और परियोजना की कुल लागत 3 लाख रुपए बताई गई है।
जिला पंचायत के सीईओ ने इस घोटाले की पुष्टि करते हुए बताया कि मौके पर दर्ज पुरुष और महिला श्रमिकों की संख्या आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रही है। रिकॉर्ड के मुताबिक 6 पुरुष और 4 महिलाएं काम कर रही थीं, लेकिन महिलाओं की जगह पुरुषों ने साड़ी पहनकर उनकी उपस्थिति दर्ज कराई और फर्जी मजदूरी का दावा किया। इस घोटाले की योजना वीरेश बेयरफुट टेक्नीशियन ने बनाई थी, जो पंचायत विभाग के साथ अनुबंध पर कार्यरत था। उसे निलंबित कर दिया गया है।
सीईओ ने बताया कि इस संबंध में फरवरी में ही शिकायतें मिली थीं और उस पर कार्रवाई शुरू हो गई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस परियोजना के तहत अब तक किसी को मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। जांच में पता चला है कि नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर ऐप के जरिए उपस्थिति में भी हेराफेरी की गई थी। फर्जी तस्वीरें अपलोड कर वास्तविक मजदूरों की जगह गलत लोगों को हाजिर दिखाया गया, जिससे महिलाओं के नाम पर मजदूरी का फर्जी भुगतान किया गया।
मल्लार गांव के पंचायत विकास अधिकारी चन्नबसवा ने खुद को इस घोटाले से अलग करते हुए कहा कि मुझे इस फर्जीवाड़े की जानकारी नहीं थी। जैसे ही मामला सामने आया अनुबंध कर्मचारी वीरेश को निलंबित कर दिया गया है। घटना के बाद स्थानीय महिला मजदूरों में भारी नाराजगी है। उन्होंने इसे उनके परिश्रम और अधिकारों के साथ धोखा बताया है। महिलाओं ने कहा कि यह मनरेगा जैसी ग्रामीण रोज़गार योजना का दुरुपयोग और महिला श्रमिकों का अपमान है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मनरेगा मजदूरी दर 349 से बढ़ाकर 370 कर दी गई है, जो 1 अप्रैल से लागू हो गई है।

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