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ईओडब्ल्यू ने बैंक कर्मचारियों समेत 7 पर की एफआईआर
भोपाल। मध्यप्रदेश आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने सरकारी पेंशन और सामाजिक सुरक्षा राशि वाले खातों में की गई बड़े बैंक घोटाले का खुलासा किया है। जांच में सामने आया कि बैंक ऑफ इंडिया के दो कर्मचारियों ने अपने पांच परिचितों के साथ मिलकर 3 वर्षों तक निष्क्रिय खातों को अवैध रूप से सक्रिय किया और उनमें जमा सरकारी रकम को निकालकर करीब 44.11 लाख रुपये का गबन किया। मंगलवार को ईओडब्ल्यू ने दीपक जैन, अजय सिंह परिहार, खुशबू खान, अफरोज खान, ललिता ठाकुर, कल्पना जैन, हेमलता जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। साथ ही अन्य संभावित सहयोगियों की जांच जारी है। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश, आईटी एक्ट के तहत पहचान और डेटा का दुरुपयोग, साइबर धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। बता दें डॉर्मेंट खाता वह खाता होता है जिसमें लंबे समय तक कोई लेन-देन नहीं होता, इसलिए बैंक उसे निष्क्रिय घोषित कर देता है।
44.11 लाख की हेराफेरी
ईओडब्ल्यू ने बैंक ऑफ इंडिया, भोपाल जोन से मिली शिकायत के आधार पर जो जांच की, उसमें पाया गया कि बैंक कर्मचारी दीपक जैन (स्पेशल असिस्टेंट) और अजय सिंह परिहार (स्टाफ क्लर्क) ने योजनाबद्ध तरीके से खातों में हेराफेरी की। दोनों ने फाइनल सिस्टम में अपनी और सहकर्मियों की लॉगिन आईडी का दुरुपयोग कर 212 से अधिक डोरमेट खातों को एक्टिव किया। इन खातों में शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, राहत राशि और अन्य सरकारी सहायता जमा होती थी। सक्रिय होने के बाद इन खातों से रकम चार परिचितों खुशबू खान, अफरोज खान, ललिता ठाकुर और कल्पना जैन के खातों में ट्रांसफर की गई। सभी एटीएम कार्ड आरोपी दीपक जैन के पास थे और इन्हीं एटीएम से नकद निकासी की जाती रही। करीब 44.11 लाख रुपये को आरोपी 70:30 के अनुपात में बांटते थे।
घोटाला कैसे पकड़ा गया
18 मार्च 2019 को सैफिया कॉलेज शाखा में एक महिला ने शिकायत की कि उसके मृत पति के खाते से अवैध निकासी हुई है। शाखा प्रबंधक ने आंतरिक जांच की, जिसमें लेनदेन दीपक जैन और अजय सिंह परिहार द्वारा किए जाने की पुष्टि हुई। यह मामला जब ऊपरी स्तर पर पहुंचा, तो बैंक की विजिलेंस और विभागीय जांच में कई शाखाओं में लगातार हेराफेरी के प्रमाण मिले।
जांच में जो तथ्य सामने आए
ईओडब्ल्यू ने फाइनल लॉग एटीएम निकासी रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और ट्रांजैक्शन रिपोर्ट की जांच की। इसमें पाया गया कि 64 खाते दीपक जैन ने अपने सहकर्मियों की आईडी का दुरुपयोग कर खुद सक्रिय किए। तीन वर्षों (जनवरी 2016-मार्च 2019) तक घोटाला कई शाखाओं में चलता रहा। आरोपियों के निजी खातों में बड़ी मात्रा में संदिग्ध नकद जमा पाई गई। बैंक के मानक संचालन नियमों का भारी उल्लंघन किया गया। सुपरविजन कंट्रोल बेहद कमजोर पाया गया। ईओडब्ल्यू ने कहा कि यह केवल बैंकिंग अनियमितता नहीं, बल्कि व्यक्तिगत पहचान के दुरुपयोग, सिस्टम में घुसपैठ और साइबर धोखाधड़ी का गंभीर मामला है।

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